कुपोषण ‘ गटक’ गया अरबों रुपए, दूर नहीं हुआ कुपोषित बच्चों के सामने आने का दंश

उदयपुर. अरबों रुपए फूंकने के बाद भी अपने माथे पर लगा कुपोषण का दाग सरकार नहीं धो पाई। हालात देख यह कहने से गुरेज नहीं किया जा सकता है कि ये मोटी रकम भी कुपोषित हो गई। प्रदेश का एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां कुपोषित बच्चों की बड़ी संख्या सामने नहीं आ रही हो। पांच वर्ष तक के वह बच्चे जो कमजोरी के कारण कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। सभी आंगनबाडी केन्‍द्रों पर इच्‍छुक लाभान्वि‍तों को पूरक पोषाहार का वितरण किया जा रहा है। अति कुपोषित लाभान्वितों को सामान्‍य लाभान्वितों की तुलना में अतिरिक्‍त मात्रा में पूरक पोषाहार उपलब्‍ध करवाया जा रहा है।

चिकित्‍सा विभाग के अन्‍तर्गत जटिल बीमारियों से ग्रसित अतिगंभीर कुपोषित बच्‍चों की पहचान कर इनका कुपोषण उपचार केन्‍द्रों पर भर्ती कर उपचार किया जाता है। उपचार के दौरान बच्‍चों को थेरेपेटिक फूड दिया जाता है। इसके अतिरिक्‍त इन बच्‍चों को स्थिति के अनुसार माईक्रो न्‍युट्रिएन्‍ट दिये जाते है, जिससे की बच्‍चा जल्‍दी ठीक हो सकें ।

समेकित बाल विकास परियोजनान्‍तर्गत राज्‍य के समस्‍त जिलों में लाभान्वितों को पूरक पोषाहार उपलब्‍ध करवाया जा रहा है।

ये है खुराक
छह माह से तीन वर्ष तक के बच्चे- 125 ग्राम बेबीमिक्स
छह माह से तीन वर्ष तक के अति कम वजन वाले बच्चे- 200 ग्राम बेबिमिक्स
तीन वर्ष से छह वर्ष के बच्चे- नाश्ता, गर्म पूरक पोषाहार, खिचड़ी, मीठा दलिया
तीन से छह वर्ष के अति कम वजन वाले बच्चे- 75 ग्राम अतिरिक्त पोषाहार, गरम पूरक

Courtesy: Patrika